अरुण कुमार { बेगूसराय }
आज माँ भारती के उस महावीर सपूत,महान क्रन्तिकारी योद्धा पण्डित चंद्रशेखर आजद की जयंती पर हम सब भारतीय उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं,जिन्होंने अपनी शौर्य,साहस और वीरता पराक्रम से गोरे शासकों को नाकों चने चबवा दिए थे।उनकी गौरवगाथा युगों-युगों तक भारतीय इतिहास के पन्नों में अमर रहेगी!
जब तक सूरज-चाँद, गाय,गंगा, तुलसी रहेंगे धरा पर यह वतन उन्हें याद करता रहेगा उनके गौरव गाथा को।उनकी वीरता, उनका अदम्य साहस,और देश के लिए उनका सर्वस्व न्योछावर कर देने का जज्बा,आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
समस्त भारतवासी,भारत के इस वीर सपूत,सनातन रत्न,पंडित चंद्रशेखर आज़ाद के पावन चरणों में अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
चंद्रशेखर आज़ाद, सिर्फ एक नाम नहीं,बल्कि क्रांति और बलिदान का पर्याय हैं। उनका नारा, "दुश्मन" की गोलियों का हम सामना करेंगे,आजाद हैं हम आजाद ही रहेंगे,उनका ये नारा आज भी हर भारतीय के दिलों में देशभक्ति की लौ जलाता है।उन्होंने अंग्रेजों की क्रूर सत्ता के खिलाफ लोहा लिया,और अपनी आखिरी साँस तक देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क जिसे अब "चंद्रशेखर आज़ाद" पार्क के नाम से जाना जाता है में उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा की और इस प्राण को बखूबी निभाई कि वह कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं जीवितावस्था में आखिरी दम तक नहीं ही आए और अपनी ही गोली से वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी जयंती का यह अवसर हमें हमेशा याद दिलाता रहेगा कि आजादी हमें आसानी से नहीं मिली है। इसके पीछे अनगिनत बलिदान और त्याग की कहानियाँ हैं। आजाद जैसे वीर सपूतों ने अपने लहू से आज़ादी की वीर गाथा लिखी है।
हमारा संकल्प है कि हम उनके आदर्शों पर चलेंगे, और एक ऐसा भारत का निर्माण करेंगे जिसका सपना श्री आजाद ने देखा था – एक मजबूत, समृद्ध और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाने का तो आइए,इस पावन अवसर पर हम सब मिलकर उनके स्मृति को नमन करें,और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लें।
*जय हिन्द! जय हिन्दुस्तान जय आजादी के लाल जय श्री चन्द्रशेखर आज़ाद!*