BHU: बच्चों के दिल में छेद...इलाज के लिए छह महीने की वेटिंग, वाराणसी के 88 मासूमों में हो चुकी है पुष्टि

Vishal Dubey
0

दिल में छेद से परेशान बच्चों को सर्जरी के लिए दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो वाराणसी से 700 किलोमीटर दूर अलीगढ़ जाकर सर्जरी करवानी पड़ रही है। दूसरी ओर अलीगढ़ में बच्चों की वेटिंग छह महीने तक की है। सर्जरी में देरी होने से बच्चों की सेहत और खराब हो रही है।

जिले में इस समय शहरी क्षेत्र के साथ आठ ब्लॉकों में 88 ऐसे बच्चे हैं, जिनके दिल में छेद की पुष्टि हुई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम यानी आरबीएसके के तहत ऐसे बच्चों की निशुल्क सर्जरी करवाई जाती है। यहां बीएचयू जैसे संस्थान होने के बाद भी बच्चों को अलीगढ़ जाना पड़ता है। 

अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में वाराणसी के साथ ही यूपी के अधिकांश जिलों के बच्चे सर्जरी करवाते हैं। इस वजह से यहां काशी के बच्चों को छह महीने बाद का समय दिया जा रहा है। 


बीएचयू में इलाज मिलने से होगी बड़ी राहत
आरबीएसके हरहुआ के नोडल मेडिकल ऑफिसर डॉ. अब्दुल जावेद ने बताया कि हम गांवों में विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र सहित अन्य जगहों पर बच्चों की जांच करते हैं। इसमें जिस बच्चे के दिल में छेद की पुष्टि होती है, उसकी जांच जिला अस्पताल में करवाई जाती है। फिलहाल अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज में ही बच्चों को सर्जरी के लिए भेजा जाता है। अब जिस तरह से बीएचयू में सर्जरी करवाने की पहल शुरू हुई है, इससे काफी राहत मिलेगी।

कोईराजपुर निवासी दो साल की बच्ची अंशु पटेल को दिल में छेद की पुष्टि हुई है। आरबीएसके टीम ने जांच करवाने के साथ ही सर्जरी से पहले की प्रक्रिया भी पूरी करा दी है। पिता कुलदीप ने बताया कि अलीगढ़ जाने पर पता चला कि छह महीने बाद सर्जरी का नंबर आएगा। अगर बीएचयू में इलाज मिलने लगेगा तो बड़ी सहूलियत होगी।

भेलखा में रहने वाले पांच साल के बच्चे ऋषभ के दिल में छेद है। पिता सनी कुमार ने बताया कि हरहुआ पीएचसी में आरबीएसके टीम ने जांच कर सर्जरी करवाने की सलाह दी। कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद अलीगढ़ में संपर्क करने पर बताया गया कि अब छह महीने बाद ही नंबर आएगा। बनारस में ही समय से बच्चे का इलाज हो जाता है तो राहत होगी। 



Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top