Illegal conversion
धर्मांतरण कराने वाले गिरोह ने अपना एक कोड वर्ड बना रखा है। इसे रिवर्ट के नाम से बोला जाता है। इसका मतलब होता है घर वापसी। जिन लोगों का धर्मांतरण कराया जाता है, उनके बारे में पहले समाचारपत्र में विज्ञापन दिया जाता है। इसके बाद कोर्ट में अर्जी लगाकर कागजात तैयार करा लिए जाते हैं। एक बार कागजात बनने और निकाह होने के बाद लड़कियों का वापस घर जा पाना मुश्किल हो जाता है। यह जानकारी पुलिस को आरोपियों से पूछताछ में मिली। धर्मांतरण गिरोह के आरोपियों से रविवार को एटीएस और आईबी के अधिकारियों ने भी पूछताछ की।
धर्मांतरण के आरोपी।
10 में से 6 आरोपियों ने बदला अपना धर्म
पुलिस ने दस लोगों को पकड़ा है। उन्हें दस दिन की रिमांड पर लिया गया है। आरोपियों में से छह हिंदू हैं। उन्होंने धर्म परिवर्तन करने के बाद अपना नाम भी बदल लिया। एसबी कृष्णा ने आयशा, रूपेंद्र बघेल ने अबु रहमान, मनोज ने मुस्तफा, शेखर रॉय ने अली हसन और पियूष सिंह पंवार ने मोहम्मद अली नाम रख्हिा है। गिरोह ने पहले उन्हें भी जाल में फंसाया था। प्रलोभन दिए थे, तो वो जुड़ गए। धर्मांतरण होने के बाद खुद को सोशल मीडिया पर रिवर्ट दिखाते थे। रिवर्ट नाम से कई लोगों की आईडी है। कोलकाता में वोटर आईडी और आधार कार्ड बनाए जाने के बाद वोट डालने का भी अधिकार मिल जाता था।
आगरा धर्मांतरण केस।
कई और युवक-युवतियां, बना रखा था सेफ जोन
दोनों बहनें जब घर से निकलीं तो उनके पास 25 हजार रुपये ही थे। उनके पास जेवरात भी थे मगर गिरोह उन्हें सोने के जेवर लाने से मना कर रहा था। इसके बावजूद वो साथ ले गई थीं। वह बस से दिल्ली, फिर मुजफ्फरपुर, बाद में समस्तीपुर पहुंची थीं। इसके बाद कोलकाता पहुंचीं। वहां उनकी मुलाकात ओसामा नाम के युवक से हुई। उसने होटल में रुकने का प्रबंध कराया। बाद में बस्ती में कमरा भी दिला दिया। 30 हजार रुपये एग्रीमेंट में दिए। 6 हजार रुपये महीने के हिसाब से देने थे। अली हसन ने धर्मांतरण के बाद विधिक प्रक्रिया शुरू कराई थी। दोनों बहनें नौकरी तलाश रही थीं। उधर गिरोह उनकी मदद में लगा था। धर्मांतरण में आने वालों के लिए इसे सेफ जोन भी कहा जाता था। क्योंकि यहां पर कई और युवक और युवतियों को धर्मांतरण के लिए रखा गया था। वह इलाका तपसिया बोला जाता है। दोनों बहनों को भी वहीं रखा गया था। उन्हें दीनी तालीम दी जा रही थी।
आगरा धर्मांतरण केस।
व्यस्क लड़कियों को फंसाता था गिरोह
पुलिस की पूछताछ में यह भी पता चला कि गिरोह व्यस्क युवतियों को अपने जाल में फंसाता था, जिससे उन्हें ले जाने में किसी तरह की अड़चन न आए। वह कोर्ट में भी खुद को बालिग दर्शा सकती हैं। धर्म बदलने के लिए वह स्वतंत्र होती थीं। दूसरा फायदा यह होता था कि यह लड़कियां अपने संपर्क के लोगों को भी धर्म बदलने के लिए प्रेरित करती थीं।