UP News : घरवाले नहीं हैं तो शादी कराने वाले की मौजूदगी में ही होगा विवाह पंजीकरण।

Vishal Dubey
0

विवाह पंजीकरण में जालसाजी रोकने के लिए स्टांप व रजिस्ट्रेशन विभाग को हाईकोर्ट ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब पंजीकरण केवल वहीं होगा, जिस जिले का वर या वधु स्थायी निवासी होगा। अपंजीकृत रेंट एग्रीमेंट मान्य नहीं होगा। 

उम्र का सत्यापन भी होगा। जिन मामलों में परिवार का सदस्य मौजूद नहीं होगा, विवाह संस्कार संपन्न कराने वाला शपथपत्र देगा। साथ ही उसका रजिस्ट्रार के यहां मौजूद रहना अनिवार्य होगा। यानी जिस शादी में परिजन मौजूद होंगे, वहां शादी कराने वाले की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी।

घर से भागे जोड़ों की शादी कराने वाला रैकेट गाजियाबाद, नोएडा, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, मेरठ सहित कई शहरों में सक्रिय है। ये रैकेट मां-बाप की मर्जी के बिना भागे हुए जोड़ों की शादी कराता है। 

ये लोग आर्य समाज की शादी का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाते हैं। दूसरे राज्यों के वर-वधु की शादी यूपी के किसी शहर में दिखाकर, वहीं शादी का पंजीकरण करा देते हैं।
इसकी जांच में पाया गया कि 90 फीसदी मामलों में शादी और पंजीकरण की तारीख एक थी। रैकेट भाग कर शादी करने वाला जोड़े से हाईकोर्ट में पुलिस सुरक्षा के लिए रिट फाइल कराता है।
वर्ष 2024 में शनिदेव नाम के युवक ने जान का खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा मांगी। इस बीच हाईकोर्ट में इस तरह के इतने मामले पहुंच गए कि स्पेशल कैटेगरी बनानी पड़ी। हाईकोर्ट ने इस तरह की 125 रिट को एक साथ सुनवाई के लिए क्लब कर लिया।
फिलहाल पंजीकरण के सत्यापन की व्यवस्था नहीं
हाईकोर्ट ने एआईजी स्टांप गाजियाबाद, नोएडा और प्रयागराज को पंजीकृत विवाह का डाटा के साथ व्यक्तिगत पेश होने के आदेश दिए। खुलासा हुआ कि केवल गाजियाबाद में ही एक वर्ष में 29 हजार शादियों का पंजीकरण हुआ। नोएडा और प्रयागराज में भी यह संख्या इसी के आसपास निकली। स्टांप एवं पंजीकरण विभाग ने दलील दी कि पंजीकरण के सत्यापन की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही इस तरह की नियमावली है। 


मई में शनिदेव मामले का फैसला सुनाने के साथ हाईकोर्ट ने स्टांप व रजिस्ट्रेशन विभाग से कहा है कि विवाह पंजीकरण नियमों को छह माह में बदलें। जबतक की नियमों में बदलाव नहीं होता तबतक शादी का पंजीकरण केवल वहीं होगा, जिस जिले का वर या वधु स्थायी निवासी होगा या उसके मां-बाप वहां के स्थायी निवासी हों।
बेटियों का उत्पीड़न रोकने और उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए विवाह पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर पंजीकरण के नाम पर जालसाजी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। -रवीन्द्र जायसवाल, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
इसलिए जरूरी है पंजीकरण
-विवाह प्रमाण पत्र न होने पर अदालत में विवाह के अस्तित्व को साबित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से गुजारा भत्ता, बच्चे की कस्टडी या विरासत से संबंधित विवादों में।
-पंजीकरण प्रमाणपत्र के बिना, व्यक्तियों की वैवाहिक स्थिति स्थापित करना और विवाहित जोड़ों को मिलने वाले लाभ का दावा करना मुश्किल हो सकता है। -अलगाव या तलाक के मामले में, अपंजीकृत विवाह कई जटिलताएं पैदा कर सकता है।
-विदेश जाने से पहले पंजीकरण प्रमाणपत्र को ही पति-पत्नी का दर्जा मिलता है
-विवाद के मामलों में पंजीकरण ही सबसे बड़ा दस्तावेज होता है

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top