Breaking News: बिहार में लालूवाद और परिवारवाद के बीच बुरी तरह फंसी कांग्रेस, जहां थी मजबूत वो सीट भी छोड़नी पड़ी

Vishal Dubey
0

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को यह बात पता है कि अगर बिहार में कांग्रेस मजबूत होती है तो सबसे बड़ा नुकसान उनकी ही पार्टी को होना है. ऐसे में उन्होंने सबसे पहले पप्पू यादव को पूर्णिया में फंसा दिया उसके बाद युवा नेता कन्हैया कुमार के साथ खेला कर दिया. कन्हैया को बिहार का मैदान छोड़कर दिल्ली आना पड़ा.

लालूवाद की वजह से बिहार में कन्हैया और पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से रोक दिए गए. लालू प्रसाद अपने बेटे तेजस्वी यादव की राह में ऐसा रोड़ा नहीं चाहते हैं जो आने वाले समय में तेजस्वी के सीएम बनने की राह में मुश्किलें पैदा करे. इसलिए लालू प्रसाद के यस मैन कहे जाने वाले बिहार प्रदेश के कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी पार्टी के इंट्रेस्ट से ज्यादा लालूवाद और परिवारवाद में फंसते हुए दिखाई पड़े हैं.

पप्पू यादव का पूर्णिया से चुनाव लड़ना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है. पप्पू यादव प्रियंका गांधी की हां के बाद अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कराए थे, लेकिन राहुल और प्रियंका के आश्वासन के बावजूद कांग्रेस पप्पू यादव को अपने टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ाने में कामयाब नहीं हो सकी. जाहिर है ऐसा लालू प्रसाद के विरोध के चलते हुआ. ये पहली दफा नहीं है बल्कि साल 2019 में भी कीर्ति झा आजाद के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने ऐसा ही वादा किया था, लेकिन लालू प्रसाद की स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से उन्हें झारखंड से चुनाव लड़ना पड़ा था.

कन्हैया को कांग्रेस बिहार से लड़ाना चाह रही थी, लेकिन…
जाहिर है यही हालत कन्हैया कुमार के साथ बिहार में देखा गया. कन्हैया कुमार को कांग्रेस बिहार से लड़ाना चाह रही थी, लेकिन लालू प्रसाद ने बेगूसराय से सीपीआई को टिकट देकर कन्हैया कुमार के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए. कांग्रेस की कोशिश कन्हैया कुमार को महाराजगंज से लड़ाने की थी. लेकिन लालू प्रसाद की ना के चलते कांग्रेस घुटने टेकते हुए दिखी है. कांग्रेस ने महाराजगंज में लालू प्रसाद की रजामंदी से कांग्रेस प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह को टिकट दी है जो कई और रेस में गिने जाने वाले उम्मीदवारों की तुलना में कमजोर बताए जा रहे हैं.

कन्हैया कुमार के बाद चर्चा अरुण कुमार और रंधीर सिंह की थी, लेकिन कांग्रेस ने सबको दरकिनार कर लालूवाद और परिवारवाद को तरजीह देकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह को टिकट दे दिया है. यही हाल पटना सिटी में भी दिखा है जहां से मीरा कुमार के बेटे अंशुल कुमार को टिकट दे दिया गया है. कांग्रेस के हिस्से में मिली 9 टिकटों में परिवारवाद और लालूवाद साफ तौर पर दिखाई पड़ रहा है.

कांग्रेस अपनी परंपरागत सीटों को छोड़ती हुई क्यों दिख रही है?
कांग्रेस औरंगाबाद सहित बाल्मीकिनगर, मोतिहारी और वैशाली से हाथ धो बैठी है. कांग्रेस को पटना सिटी जैसी सीटें दी गई हैं जहां से कांग्रेस का हारना तय माना जा रहा है. महाराजगंज और पटना सिटी में कांग्रेस परिवारवाद की चपेट में है. वहीं मुंगेर और औरंगाबाद को छोड़ने के अलावा सासाराम सहित अन्य सीटों पर उम्मीदवार के चुनाव में भी लालू का असर साफ दिखाई पड़ रहा है.

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top