कोर्ट ने कहा कि वुजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराई जाए। कोर्ट ने जिला जज वाराणसी के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था।
ASI ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफा दिया था
साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाना होगा कि बरामद हुआ कथित शिवलिंग कितना पुराना है, यह वास्तव में शिवलिंग है या कुछ और है। मामले में ASI ने गुरुवार को सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।
ASI ने अभी तक नहीं दाखिल किया जवाब
इससे पहले 20 मार्च को हुई सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है? याची अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चल सकेगा पर अभी तक ASI ने हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए ASI को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया था। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ASI से पूछा कि क्या बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है?
वाराणसी जिला जज के आदेश को चुनौती दी थी
ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे ASI से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई थी।