महाठग संजय राय शेरपुरिया को यूपी STF ने मंगलवार को गिरफ्तार किया। शेरपुरिया दिल्ली के बड़े उद्योगपति गौरव डालमिया से 6 करोड़ रुपए की डील में फंस गया। डालमिया का केंद्रीय जांच एजेंसी में चल रहे एक केस को रफादफा कराने का संजय ने ठेका लिया था।
संजय राय शेरपुरिया का शुरुआती जिंदगी गरीबी में बीती। फोर्ब्स के बिलिनियर क्लब में अपना नाम दर्ज कराया। रिफाइनरी का मालिक बनकर SBI से 1200 करोड़ का लोन लेकर बैंक करप्ट हो गया। अरबपति होकर वह बेरोजगारों को रोजगार दिलाने से लेकर करोना काल में मदद के नाम पर लाखों खर्च किए।
उसके पास यह पैसे कहां से आए। STF से पूछताछ में कई अहम जानकारियां हासिल हुई है। चलिए, शेरपुरिया की जिंदगी से जुड़े कहानी हम परत-दर परत बताते हैं।
असम से परिवार गाजीपुर के शेरपुरिया गांव पहुंचा
संजय राय बचपन में असम में अपने पिता के साथ रहता था। पिता परचून की दुकान चलाते थे। नक्सलवाद के चलते पिता परिवार के साथ पलायन कर गाजीपुर स्थित शेरपुरिया गांव आ गए। इसके बाद उन्होंने वहां जमीन खरीदकर खेती शुरू की। यहां से 10वीं पास संजय राय मुंबई चला गया। वहां कुछ दिनों सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। फिर एक कांटेक्ट मिला और गुजरात पहुंच गया। वहीं, से संजय राय शेरपुरिया ने अपने काले कारनामें शुरू कर दिए।
गुजरात में रिफाइनरी में काम किया, फिर खोलने की प्लानिंग
STF सूत्रों के मुताबिक, गुजरात में शेरपुरिया ने पहले एक रिफाइनरी में काम किया। वहीं एक बड़े घर की लड़की से शादी की। वहां एक रिफाइनरी खोलने के लिए अपने जांल में फंसाकर वहां के कुछ उद्योगपतियों को भरोसे में लिया। वहां एक रिफाइनरी खोली। इसके लिए बैंकों से करीब 1200 करोड़ रुपए लोन लिया
दिल्ली में राइडिंग क्लब के आवास में धोखाधड़ी
गुजरात में उसने कांडला एनर्जी एंड केमिकल लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई। कुछ ही समय में उसने अरबों रुपए का साम्राज्य स्थापित कर लिया। इसी बीच लोन न चुकाने पर SBI बैंक ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया। इसके बाद वह पत्नी और परिवार के साथ दिल्ली चला आया। यहां पर राइडिंग क्लब के आवास में धोखाधड़ी से एक बंगले पर कब्जा किया। दिल्ली पहुंचकर उसने अपने ठगी के धंधे को और धार देनी शुरू की।
दिल्ली में लोगों को सरकारी ठेके से लेकर नौकरी दिलाने का झांसा दिया। सिर्फ यही नहीं, उद्योगपतियों को सरकारी जांच एजेंसियों से बचाने, सांसदी और विधायकी के टिकट दिलाने के नाम पर ठगी करने लगा। इसके अलावा, यूपी की राजनीति में पैर जमाने के लिए लखनऊ से बनारस तक अपनी पहुंच का प्रचार करने लगा।
यूपी में दो साल के अंदर डिप्टी सीएम से लेकर मंत्रियों, उद्योगपतियों के साथ कई कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों की नजरों में आ गया। उसने खुद को राजनेता के तौर पर पेश करने के लिए सोशल मीडिया के साथ नेशनल न्यूज चैनल पर भी अपने प्रायोजित कार्यक्रमों को फ्लैश कराने लगा। इस बीच, उसके काले कारनामों का शिकार उद्योगपति गौरव डालमिया हो गए। उनकी ईडी से जांच को ठंडे बस्ते में डालने के छह करोड रुपए ले लिए।
53 कंपनियों के जरिए किया अरबों के खेल की आशंका
STF सूत्रों के मुताबिक, संजय राय ने सबसे पहले कांडला एनर्जी एंड केमिकल लिमिटेड कंपनी बनाई। इसके साथ ही 52 और डमी कंपनी खड़ी की। जिनके माध्यम से पैसों में हेरफेर किया। STF को पता चला है कि कांडला एनर्जी एंड केमिकल की आड़ में अपनी चार शैल कंपनियों के जरिए मनी लॉड्रिंग का खेल करने लगा था।
खुद न फंसे इसके चलते इसमें उनमें डमी डायरेक्टर बनाए और खुद व पत्नी को पदाधिकारी नहीं बनाया। हालांकि, कंपनी के लोन में गारंटर बनने और हर कार्यक्रम में मौजूद रहने से फंस गया। जिसे STF ने सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया है।