काशी की मुस्लिम महिलाओं ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम रखते हुए लगातार 15वें वर्ष दिवाली के दिन प्रभु श्रीराम की आरती उतारी। गुरुवार को विशाल भारत संस्थान और मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिलाओं द्वारा श्रीराम महाआरती का आयोजन किया गया। आरती में शामिल महिलाओं का कहना था कि उर्दू में लिखी श्रीराम प्रार्थना और श्रीराम आरती को पढ़ कर वह नफरत की आग को ठंडा करने के लिए राम नाम का शीतल जल जन-जन तक पहुंचा रही हैं।
कट्टरपंथियों के बीच सार्थक संदेश जाता है
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी को उर्दू में हनुमान चालीसा लिखने की वजह से हनुमान चालीसा प्रेम की उपाधि दी गई है। नाजनीन अंसारी ने बताया कि भगवान श्रीराम और माता जानकी की मूर्ति पर श्रद्धा से सिर झुकाने और पुष्प अर्पित करने के बाद आरती की गई। फिर दीप जलाए गए और फुलझड़ी जलाकर यह संदेश दिया गया कि भारत भूमि पर रहने वाले सभी भारतवासी सांस्कृतिक रूप से एक हैं, क्योंकि सबके पूर्वज एक ही थे।
इसलिए तीज-त्योहार साथ मिलकर मनाना ही एकता और अखंडता का प्रतीक है और इससे कट्टरपंथियों के बीच एक सार्थक संदेश भी जाता है। महाआरती कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने मुस्लिम महिलाओं के साथ श्रीराम आरती कर धर्म के भेद को खत्म किया और सबके राम, सब में राम की उक्ति को चरितार्थ किया।