राज्य सरकार की ओर से ग्रीन पटाखों की छूट क्या मिली वाराणसी में लोग दुकानों पर टूट पड़े हैं। आज छोटी दिवाली पर बाजार से पारंपरिक पटाखे मिर्ची, बुलट, ऊनी बम आदि गायब हैंख् उनकी जगह आसमानी करतब दिखाने वाले ग्रीन पटाखों ने ले लिया है। वाराणसी के शिवपुर स्थित मिनी स्टेडियम, नाटी इमली और संपूर्णानंद यूनिवर्सिटी कैंपस में थोक पटाखा मंडी सज गई है। दुकानदार यहां पर सुबह से ही आ चुके हैं। दोपहर में ही लोगों की खचाखच भीड़ जुट गई है। दूसरी ओर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कोई मानक नहीं अपनाए गए हैं। पटाखे की दुकानों पर न तो अग्निशमन यंत्र रखे हुए हैं और न ही इन मैदानों पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची हैं। ऐसे में आग लगने के बाद स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी।
चमक से आसमान में बनेगी डिजाइन
फिलहाल पटाखों की बात करें तो मार्केट में इस दिवाली एक नया ट्रेंड आसमान में रोशनी और चमक से तरह-तरह की डिजाइन दिखाने वाले पटाखों का चल गया है। 400 रुपए से 4000 रुपए तक में ये बाजार में मिल रहे हैं। ग्रीन पटाखों की कटेगरी में आने वाले ज्वाय-30 और जाली जिंगल को लेकर लोगों का अच्छा-खासा रूझान है। ये दोनों पटाखे 30-45 सेकेंड का कारनामा आसमान में पेश करते हैं।
जाली जिंगल में आग लगाएंगे तो पहले रॉकेट की तरह सीधे आसमान में जाकर छतरीनुमा बन जाएगा। कुछ सेकेंड में छतरी बंद होकर जमीन पर उतरना शुरू कर देगी। जाली जिंगल की 15 वैरायटी है। इसकी कीमत 475 रुपये से शुरू होकर 4000 रुपये तक है। कुछ पटाखों से कई प्रकार की रोशनी होगी, जिससे कि आसमान जगमगा उठेगा। बाजार में 300 रुपये लेकर 1300 रुपये तक की रेंज के इस तरह पटाखे मिल रहे है, जिसको लेकर लोगों का इंटरेस्ट बढ़ा है। वहीं कई ग्रीन पटाखे तो ऐसे हैं कि सीटी की मद्धम धुन के साथ आकाश में अलग-अलग रोशनी बिखेरेते नजर आएंगे। वहीं पारंपरिक पटाखे शोर और धमाका करने वाली बड़ी चटाइयां, स्नैक, ऊनी बम और खतरनाक बुलट बम इस बार मार्केट से गायब हैं।
बच्चों के लिए ग्रीन फुलझड़ी, महताब, चकरघिन्नी और अनार
बच्चों के लिए भी ग्रीन पटाखों के स्टाल इन बाजारों में दिखाई दिए। ग्रीन फुलझड़ी, महताब, चकरघिन्नी और अनार आदि शोर नहीं चमक बिखरेंगे। इनकी कीमत 130 रुपये से लेकर 480 रुपये प्रति डिब्बा है। इनके अलावा रॉकेट, स्काई शॉट, छुरछुरी, पैराशूट, बटरफ्लाई की डिमांड ज्यादा है।
पटाखा कारोबारियों ने बनाई चाइनीज पटाखों से दूरी
ग्रीन पटाखे की कई वैरायटी आ गई हैं। इसके अलावा सल्फ्यूरिक लाताखा और तमाम तरह के पाटाखे बाजार में उपलब्ध हैं। थोक कारोबार शुरू हो गया है। छोटी दीपावली की शाम से मार्केट पूरी तरह से बूम होना शुरू हो जाता है जो दीपावली की शाम तक रहता है।