भगवती मां कूष्माण्डा के सात दिवसीय वार्षिक शृंगार एवं संगीत महोत्सव की पांचवी निशा मनोज तिवारी के गायन के नाम रही। देर रात जब सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने मां कूष्माण्डा को चरणों में प्रणाम निवेदित करने के बाद जैसे ही मंच संभाला समूचा मंदिर प्रांगण हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। उन्होंने शुरुआत ''दुर्गाकुण्ड के दुर्गा मंदिर में जाके शीश नवाईला... से की तो दर्शकों ने भी उनके साथ सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया।
इसके बाद बाड़ी शेर पर सवार... से मां की आराधना की। जिया हो बिहार के लाला....की जब तान छेड़ी तो श्रोता भी थिरक उठे। मनोज ने गायन को आगे बढ़ाते हुए माई की जोत में समाईल संसार बा...के बाद ''सबहि जुटल बा दुर्गा माई के शृंगार में...भजन सुनाया। इसके बाद उन्होंने हमरा बुझात बा बबुआ पीएम होइयें...पेश किया। इस दौरान दुर्गा मां के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुंजायमान होता रहा।
इसके पहले काशी के ख्यात भजन गायक डॉ. विजय कपूर ने भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने ''अरज सुनाने माता आया हूँ'', ''है मैया झूले चनन झुलनवा, ''इस जग पे तेरा मैया उपकार'' आदि भजन सुनाया। व्यास मौर्य ने ''आसरा इस जहां का मिले ना मिले, मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए मां'', ''दर दर का भटकना छूट गया, जबसे मैया का द्वार का मिला'' आदि भजनों से मां की स्वराधना की।
करिश्मा पाण्डेय ने ''लाले रंग सिन्दूरा'', धोवत धोवत तोहरे मंदिरिया'', पवन परदेशी ने ''झूला निमिया के डार लागेला'', ''मथवा पर हथवा बनवले रहा'' सुनाकर माँ को स्वरांजलि अर्पित की। इसके बाद भावना सिंह ने ''तेरा दरबार ओ मईया'', ''छाप तिलक धन छीनी रे'' सुनाया। इनके अलावा गोपाल राय, आराधना सिंह, सुमन अग्रहरि, अजय अजनवी, आरती सिन्हा, प्रियंका पाण्डेय, धीरज तिवारी, श्रद्धा पाण्डेय आदि कलाकारो ने देररात तक माँ के चरणों मे भजनों की गंगा बहाई।
कलाकारों का सम्मान महंत राजनाथ दुबे एवं विश्वजीत दुबे ने किया। संचालन सोनू झा ने किया। इस मौके पर पं. संजय दुबे, विकास दुबे, प्रकाश दुबे सहित बड़ी संख्या में महंत परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
राहुल मुखर्जी और डॉ. दिव्या श्रीवास्तव के ओडिसी ने मोहा मन- काशी के राहुल मुखर्जी एवं दिव्या श्रीवास्तव के ओडिसी व भरतनाट्यम शैली में नृत्य ने सबका मन मोह लिया। उन्होंने गणेश स्तोत्र, कार्तिकेय स्तुति, महाकाली स्तुति, अर्धनारीश्वर, राम स्तुति और हनुमान चालीसा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
महोत्सव के पांचवें दिन रविवार को मां कूष्माण्डा का लक्ष्मी हार से श्रृंगार किया गया। सायंकाल पंचामृत स्नान के बाद लाल चटख बनारसी साड़ी और बनारसी दुपट्टे से सजी मां को पीले सफेद मोतियों के साथ लक्ष्मी हार से सुशोभित किया गया। इसके साथ ही गुलाब, जूही, बेला, कठुआ की मालाओं से मां की दिव्य छवि सजाई गई। मां के स्वर्ण शृंगार के दर्शन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। शृंगार पं. कौशलपति द्विवेदी एवं आरती पं. किशन दुबे ने उतारी।