रिकॉर्ड से लेकर शब्दावली सुधार तक दिया निर्देश, मरीजों की सुविधाओं का लिया जायज़ा
वाराणसी। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने रविवार को मानसिक चिकित्सालय का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का गहन जायज़ा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने रिकॉर्ड रजिस्टर से लेकर मरीजों के कक्ष, ओपीडी, इमरजेंसी और पारिवारिक वार्ड तक की स्थिति का अवलोकन किया और मौके पर ही व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश देते हुए पुराने और अपमानजनक शब्दों को हटाने की पहल की। इस दौरान उन्होंने अग्निशमन कक्ष, गार्ड रूम, ओपीडी, इमरजेंसी, मरीजों के वार्ड और पारिवारिक वार्ड का भ्रमण किया और साफ-सफाई से लेकर प्रशासनिक अनुशासन तक का बारीकी से अवलोकन किया। निरीक्षण के उपरांत जिलाधिकारी ने मानसिक चिकित्सालय के निदेशक व प्रमुख अधीक्षक के साथ बैठक कर मरीजों की संख्या, उनके इलाज, भोजन, रहने की सुविधा, टेलीमेडिसिन परामर्श जैसी व्यवस्थाओं की विस्तृत जानकारी ली। अस्पताल के रजिस्टरों की जांच की और 'कोठरी', 'लॉकअप' और 'जंगी वार्ड' जैसे शब्दों को अप्रासंगिक बताते हुए इन्हें तत्काल प्रभाव से बदलने के लिए शासन को पत्र भेजने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि मानसिक रोगियों को गरिमा के साथ इलाज मिलना चाहिए, न कि अमानवीय संदर्भों में।जिलाधिकारी ने मरीजों के वार्डों की साफ-सफाई और बिस्तरों की स्थिति पर संतोष जताया, लेकिन इमरजेंसी लाइट न होने पर असंतोष जताते हुए तत्काल व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने फैमिली वार्ड की जांच की और वहां मौजूद नर्सों से बातचीत कर व्यवस्थाओं की हकीकत जानी। निर्देश दिया कि हर मरीज और उनके गार्जियन का नाम, मोबाइल नंबर और पहचान-पत्र की एंट्री रजिस्टर में अनिवार्य हो। इसके अलावा, फैमिली वार्ड में रहने वाले गार्जियनों का फोटोयुक्त परिचय पत्र बनवाया जाए, जिससे अस्पताल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
अस्पताल में आने-जाने वालों की एंट्री अनिवार्य
गार्ड रूम रजिस्टर की जांच के बाद जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि चिकित्सालय में आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की एंट्री रजिस्टर में होनी चाहिए। बिना एंट्री कोई भी अंदर प्रवेश न करे, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निदेशक की होगी।
विकास कार्यों का लिया जायजा
जिलाधिकारी ने मानसिक चिकित्सालय परिसर में बन रहे नए वार्ड और प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज भवन की प्रगति की जानकारी भी प्राप्त की। उन्होंने निर्माण कार्यों को तय समयसीमा में गुणवत्ता के साथ पूरा करने पर बल दिया। निरीक्षण के दौरान एडीएम सिटी आलोक वर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट रविशंकर सिंह, मानसिक चिकित्सालय के निदेशक व अधीक्षक डॉ. प्रकाश चंद मल्ल, सीएमएस जिला अस्पताल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।