वाराणसी - BHU में आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद रहे।

Vishal Dubey
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वाराणसी -बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद रहे। उन्होंने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का जीवन न्यूनतम सुविधा में उत्तम सुशासन का कालखंड था। उनका प्रशासनिक नेतृत्व 'लेस गवर्नमेंट मोर गवर्नेस' की सूक्ति का आदर्श उदाहरण रहा है। जो राजसत्ता अपनी प्रजा की हर समस्या का समाधान करे, उसे ही पुण्यश्लोक कहा गया। 

विशिष्ट अतिथि लोकमाता के वंशज उदय सिंह राजे होलकर ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्याबाई का जीवन साधारण नहीं रहा। अपने ही जीवन काल में ही उन्हें सास, श्वसुर, पति, पुत्र-पुत्री सभी की मृत्यु देखनी पड़ी। पति के साथ सती होने से श्वसुर मल्हार राव होलकर ने रोका। घाट, धर्मशाला व मंदिरों का जीर्णोद्धार उन्होंने अपने स्त्रीधन से कराया। वह कुशल प्रशासिका के साथ आध्यात्मिक भी थीं। उनके हाथ की लिखी श्रीमद्भागवत गीता भोपाल संग्रहालय में संरक्षित है। विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डा. माधुरी कानिटकर ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए।

अध्यक्षता लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयन्ती समारोह समिति की अखिल भारतीय अध्यक्षा प्रो. चंद्रकला पाडिया ने की। स्वागत संघ के प्रांत संपर्क प्रमुख दीनदयाल पांडय व विषय स्थापना आयोजन समिति सदस्य डा. नीरजा माधव ने रखी। निवेदिता शिक्षा सदन एवं संत अतुलानंद के छात्र-छात्राओं ने देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित लघु नाटिकाओं का मंचन किया। संत अतुलानंद स्कूल के विद्यार्थियों ने लघु नाट्य में काशी विश्वनाथ मन्दिर के स्थापना के प्रसंग को प्रदर्शित किया। 
इस भव्य कार्यक्रम में गुंजन नंदा की पुस्तक "पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई महेश्वर से मोक्षदायिनी काशी तक" का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय मुकुंद जी, उदय सिंह राजे जी होलकर जी, डॉ. माधुरी कानिटकर जी, प्रो. चंद्रकला पाड़िया जी, डॉ. नीरजा माघव जी एवं प्रांत प्रचारक माननीय रमेश जी के द्वारा हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा. भावना त्रिवेदी और गुंजन नंदा द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो रामनारायण द्विवेदी ने किया।

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