बीएचयू अस्पताल में रेजिडेंट की हड़ताल से अब मरीजों की मुश्किल बढ़ती जा रही है। ओपीडी से लेकर वार्ड और जांच केंद्र तक जगह-जगह मरीज कहीं स्ट्रेचर पर पड़े हैं तो कहीं व्हील चेयर पर। परिजन चाह कर भी डॉक्टर को नहीं दिखा पा रहे हैं। अस्पताल में चलने वाली करीब 20 ओपीडी में कहीं 100 से 150 तो कहीं इससे भी कम मरीज देखे जा रहे हैं।
सर्जरी और जांच का ग्राफ भी नीचे आ गया है। सामान्य दिनों में जहां इमरजेंसी सहित अन्य विभागों के ऑपरेशन थियेटर में कुल मिलाकर करीब 170 सर्जरी होती है, वह बुधवार को छह गुना कम होकर 30 से भी नीचे आ गई है। एक दिन तो 8 और एक दिन 15 सर्जरी ही हो सकी।
उधर, रेडियोलॉजी विभाग में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई आदि को मिलाकर करीब 900 मरीजों की जांच होती हैं, वह भी कम होकर 137 तक आ गई है। इसमें नौ दिन में एक दिन तो केवल 50 जांच ही हो सकी। अगर हड़ताल खत्म नहीं हुई तो मरीजों की मुश्किल कम नहीं हो पाएगी।
कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर संग दरिंदगी के विरोध में बीएचयू अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर में रेजिडेंट 13 अगस्त से हड़ताल पर हैं। ओपीडी, वार्ड से लेकर जांच केंद्र तक अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं। इस कारण हर दिन बड़ी संख्या में मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी सर्जरी और जांच करवाने वालों को हो रही हैं।
दोपहर 2 बजे ही ओपीडी में पसरा सन्नाटा
बीएचयू में हड़ताल के नौवें दिन ओपीडी में कंसल्टेंट तो बैठे, मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ा। कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, सर्जरी सहित अन्य विभागों में एक ही कंसल्टेंट के भरोसे ओपीडी चली। दोपहर में यहां एक-एक डॉक्टर ही बैठे रहे। मंगलवार को जहां 2395 मरीज देखे गए थे, वहीं बुधवार को 2220 मरीज ओपीडी में आए। दोपहर दो बजे ही ओपीडी में सन्नाटा हो गया।