कम उपस्थिति दर्ज होने के कारण नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा में बैठने से वंचित की गई छात्रा सान्या यादव को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। वह गुरुवार 16 नवंबर को होने वाली पूरक परीक्षा में शामिल हो सकेगी। एमबीए (मीडिया मैनेजमेंट) की छात्रा ने बुधवार को याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई की प्रार्थना की। उसका कहना था कि उपस्थिति तकनीकी कारणों से कम हुई है।
यदि वह फेल हुई तो वह भारी हर्जाना देने को तैयार है, लेकिन परीक्षा में न बैठने दिया गया तो उसका छह माह का समय खराब हो जाएगा। इस पर अवकाश के बावजूद मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत दिन में साढ़े तीन बजे बैठी। कोर्ट ने 16 नवंबर को दो बजे से होने वाली पूरक परीक्षा में छात्रा सान्या को बैठने देने का निर्देश दिया और कहा कि कोर्ट की अनुमति के बिना परीक्षा परिणाम घोषित नहीं होगा।
बुधवार को अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी ने महानिबंधक कार्यालय में याचिका दाखिल कर मामला अतिआवश्यक होने की बात कहते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। इस पर मुख्य न्यायाधीश छात्रा के भविष्य को देखते हुए स्वयं सुनवाई के लिए बैठे। याची का कहना है कि उसने प्रत्येक कक्षा की है। उसकी उपस्थिति सौ प्रतिशत है परंतु पोर्टल में उपस्थित कम दर्शाने के कारण उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई है।
यदि वह परीक्षा में नहीं बैठी तो उसका छह महीने का समय खराब हो जाएगा। यदि वह फेल होती है तो विश्वविद्यालय को भारी हर्जाना देने के लिए तैयार है। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि मामला विश्वविद्यालय व छात्रा के बीच का है, उसका कोई रोल नहीं है। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि आज कार्यालय बंद होने के कारण उन्हें पूरी जानकारी नहीं मिली है, किंतु इतना विलंब हो चुका है कि अब प्रवेशपत्र जारी नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा, विद्यार्थी के लिए हर परीक्षा महत्वपूर्ण होती है। दस्तावेजों व विषम परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने गुरुवार की परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याची की बात सही नहीं पाई गई तो वह विश्वविद्यालय को हर्जाना देगी। मामले में अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।