इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को द‍िए ये न‍िर्देश। यूपी में 22 हजार कांस्टेबलों को बड़ी राहत।

Vishal Dubey
0

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2005-06 में भर्ती 22 हजार कांस्टेबलों को बड़ी राहत दी है। उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह दो महीने में इन्हें सभी सेवाजनित लाभ देने पर निर्णय करे। कांस्टेबलों की भर्ती सपा शासनकाल में हुई थी, जबकि बसपा के शासनकाल में इन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। लंबी लड़ाई के बाद 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने 2006 से इनकी सेवा में निरंतरता मानी है। कोर्ट ने मथुरा, गौतमबुद्धनगर, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, जिलों में तैनात हेड कांस्टेबलों तथा कांस्टेबलों की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए बुधवार को इस संबंध में आदेश पारित किया।

हाई कोर्ट ने 2006 से सेवा निरंतरता मानते हुए कांस्टेबलों को वेतन वृद्धि, पदोन्नति, समेत सभी सेवा परिलाभ देने के बारे में सरकार को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। अलग-अलग याचिकाओं में मांग की गई थी कि 17 फरवरी, 2022 के शासनादेश के अनुपालन में 2005-2006 बैच के आरक्षी सिविल पुलिस, आरक्षी पीएसी, सहायक परिचालक रेडियो विभाग के कांस्टेबलों को वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें पेंशन, उपादान, वार्षिक वेतन वृद्धि, तथा पदोन्नति का लाभ व एसीपी का लाभ अनुमन्य कराया जाए।

याची कांस्टेबलों की तरफ से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि सभी याची कांस्टेबलों की भर्ती वर्ष 2005-06 में सपा शासनकाल के दौरान हुई थी। बसपा शासनकाल आने पर इन्हें गलत आधार पर नौकरी से निकाल दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें सेवा में 2009 में बहाल किया गया। कहा गया कि सभी याची कांस्टेबल 2006 से नौकरी में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दीपक कुमार केस में यह आदेश पारित किया है कि 2005-06 के आरक्षियों की नियुक्तियां उनकी नियुक्ति दिनांक से सेवा में निरंतर मानी जाएंगी तथा वे सभी कांस्टेबल सभी प्रकार का सेवा लाभ पाने के लिए अनुमन्य होंगे। याचिका में कहा गया था कि नियुक्ति दिनांक से सभी कांस्टेबल 16 वर्ष की सेवा पूर्ण कर द्वितीय प्रमोशनल पे स्केल यानी दारोगा के पद का वेतनमान प्रशिक्षण की अवधि को जोड़ते हुए पाने के हकदार हैं, लेक‍िन इन्हें अभी तक इसका कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top